अपनी व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने पूरी पार्टी को सरकार का गुलाम बना दिया है, पिछलग्गू बना दिया है - आलोक कुमार दूबे
प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि सरकार के 4 वर्ष पूरे हो गये,अगले साल लोकसभा के भी चुनाव होने हैं जिसके लिए संपूर्ण विपक्ष ने भी तैयारी शुरु कर दी है , प्रदेश अध्यक्ष को बताना चाहिए इन 4 वर्षों में पार्टी ने जन घोषणा पत्र में किये गये कितने वायदों को पूरा कराया है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे ने आज संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की अकर्मण्यता को लेकर पार्टी में बढ़ रहे असंतोष एवं अराजकता पर गहरी चिंता व्यक्त की है।उन्होंने कहा प्रदेश अध्यक्ष अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए, अपने रिश्तेदारों एवं चहेतों को अच्छी जगह ट्रांसफर,पोस्टिंग करने में व्यस्त है तो दूसरी ओर आरपीएन सिंह के चहेतों को बोर्ड निगम, बॉडीगार्ड दिलाने में परेशान हैं ।
उन्होंने कहा पहले भी हम सरकार में रहे हैं,मुझे याद है जब अजय माकन झारखण्ड कांग्रेस के प्रभारी थे,अगर कोई कमियां रहती थी तो हम सरकार तक अपनी बात पूरी कठोरता से उठाया करते थे जो परंपरा अब लगभग समाप्त हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष की यह नैतिक जिम्मेदारी थी कि जन घोषणा पत्र में किये गये वायदों को पूरा करने के लिए सरकार पर दवाब बनाये, सरकार से बात करें, सरकार को विश्वास में ले जो इन 4 वर्षों में दूर दूर तक कहीं नजर नहीं आया।राज्य में अगर कोई घटना दुर्घटना हो जाए तो इनकी नींद तभी टूटती है जब निलंबित नेता आगे आते हैं,बयान देते हैं, तब आनन फानन में ये अपनी सक्रियता दिखाते हैं।
जन घोषणा पत्र 2019 में हमने राज्य की जनता से 2 लख रुपए तक किसानों की ऋण माफी का वादा किया था, 50 हजार तक ऋण माफी के कदम तो उठाये गये लेकिन आज तक किसान 50 हजार रुपए कर्ज माफी के लिए भटक ही रहे हैं,2 लाख कर्ज माफी की बात तो बहुत दूर है। युवाओं को रोजगार देने में भी हम स्थानीय और नियोजन नीति के बीच उलझे हुए हैं, ऐसा लगता है कि न्यायालय के आदेश के बिना इस राज्य में कुछ भी संभव नहीं है। बेरोजगारी भत्ता हमारे घोषणा पत्र का मुख्य एजेंडा था जो दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रहा।शिक्षा के क्षेत्र में निजी विद्यालयों को बन्द करने की साज़िश हो रही है,ओबीसी को 27% आरक्षण की बात बेईमानी साबित हो गई है,यहां तक की त्रिस्तरीय चुनाव में भी आरक्षण को लेकर चुनाव टाले जा चुके हैं।
संगठन सरकार से जनता के हक और किए गए वादे एवं घोषणा पत्र के क्रियान्वयन के लिए काम करती है जो दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा है। अपने और अपने परिवार और अपने रिश्तेदारों के लिए जोड़ तोड़ और गणित बैठाने में प्रदेश अध्यक्ष मशगूल हैं। संगठन का उपयोग अपने निजी कार्यों, अपने परिवार के लिए सुविधा बढ़ाने और अपने लोगों को बोर्ड/निगम दिलाने के लिए हो रहा है।संगठन की बात करने वालों को जातीय दुश्मन समझकर बदला लिया जाता है।
जिन विधायकों का निलंबन वापस हुआ है यकीनन यह सही कदम है,लेकिन इसके लिए दोषी कौन है इस पर भी चर्चा होनी चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष ने विधायकों के खिलाफ स्वयं थाने में जाकर प्राथमिकी दर्ज कराया था, नेता विधायक दल ने विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए स्पीकर के यहां शिकायत की थी आज यही लोग उनके निलंबन वापसी की जश्न मना रहे हैं।
आलोक दूबे ने कहा प्रदेश अध्यक्ष पूरे कार्यकाल में अपने विधायकों,मंत्रियों, कार्यकर्ताओं को अपमानित करते रहे।कभी मंत्री बदले जाऐंगे,तो कभी मंत्री के कार्यों की समीक्षा हो रही है तो कभी विधायकों की जासूसी,कभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को धमकी। और कभी ये कहना मेरा क्या मुझे तो सबकुछ मिल गया,अध्यक्ष भी बन गया,मंत्री का दर्जा भी प्राप्त हो गया, पार्टी दुबारा सत्ता में आये या नां आये हमारा क्या। प्रदेश अध्यक्ष का एक दिन भी बने रहना पार्टी के लिए घातक है।
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