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श्री कबीर ज्ञान मंदिर गिरिडीह सिरसिया मे दो दिवसीय सद्गुरु विवेक निर्वाण महोत्सव का हुआ शुभारंभ।

श्री कबीर ज्ञान मंदिर गिरिडीह सिरसिया मे दो दिवसीय सद्गुरु विवेक निर्वाण महोत्सव का हुआ शुभारंभ। 

गिरिडीह ---- त्रिकालदर्शी संत सद्गुरु विवेक साहब जी महाराज के निर्वाण दिवस एवं गुरु गोविंद धाम स्थापना दिवस पर आयोजित भव्य कार्यक्रम का शुभारंभ रविवार प्रातः सदगुरु कबीर साहब रचित साखी ग्रंथ के पाठ से हुआ । इस अवसर पर सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु भक्तों द्वारा पूर्ण श्रद्धा भक्ति युक्त होकर सस्वर अखंड पाठ किया गया । इसी क्रम में सतगुरू मां ज्ञान ने कहा कि यह जो हम पाठ हम कर रहे हैं, यह सामान्य पाठ नहीं है बल्कि इसके एक-एक श्लोक में दिव्यता छुपी है, जो मानव जीवन के अनमोल पहलुओं को दर्शाती है । जब व्यक्ति इन श्लोको में दिए गए संदेशों को आत्मसात करता है और उसे अपने जीवन में उतारता है तो उसका जीवन बहुत ही सरस और सरल हो जाता है । उसका जीवन सुख और शांति में गोता लगाते हुए पार लग जाता है । उन्होंने कहा कि इन श्लोकों में छुपे हुए मोती व्यक्ति के जीवन से दुख अशांति और भय को दूर कर जीवन जीने की कला सिखाती है । जीवन में गुरु का क्या महत्व है, श्रद्धा युक्त होकर गुरु भक्ति से व्यक्ति क्या पा सकता है, यह वही जान सकता है, यह वही बता सकता है, जिन्होंने इसका अनुभव किया है । सद्गुरु मां ने आगे कहा कि मैं स्वयं इसकी प्रत्यक्ष मिशाल हूं । जिन्होंने गुरु भक्ति के रस को चखा है । गुरु भक्ति वह अनमोल खजाना है, जिसे अपने हृदय में धारण कर व्यक्ति मालामाल हो सकता है । गुरु द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करना उनके उपदेशों को अपने जीवन में धारण करना यह गुरु भक्ति की पहली पाठशाला है ।

कबीर साहब की साखी ग्रंथ के पाठ के पश्चात श्री कबीर ज्ञान मंदिर के पावन प्रांगण में अवस्थित दिव्य समाधि में परम वंदनीय सद्गुरु मां ज्ञान द्वारा चादर अर्पण किया गया । तत्पश्चात द्वितीय सत्र में विभिन्न संतो भक्तों द्वारा उद्बोधन भी प्रस्तुत किया गया तथा सभी ने अपने जीवन में गुरु भक्ति से आए परिवर्तन तथा गुरु की महिमा का बखान किया । सद्गुरु मां ज्ञान द्वारा उपस्थित जन समुदाय के बीच सनातन धर्म के संबंध में विभिन्न प्रश्नों का समाधान भी किया गया ।  बताया गया कि कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण दिवस कल रहेगा । जिसमें बच्चे बच्चियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाएगी । साथ ही "हिंदुत्व हमारी शान" शीर्षक पर नाट्य मंचन भी प्रस्तुत किया जाएगा ।इस अवसर पर सद्गुरु मां ज्ञान में उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए कर्म के महत्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा की जैसे बीज के अनुसार ही फल मिलता है, वैसे ही कर्म के अनुसार ही सुख दुख मिलता है । बुरे कर्म का नतीजा दुख और श्रेष्ठ कर्म का नतीजा सुख है । आज जो अधर्म पूर्वक जीवन जीने वाले भी सुखी संपन्न दिखाई देता है, निश्चय ही यह उसके पूर्व जन्मों की कमाई है । तथापि वर्तमान अशुभ कर्म के अश्रेष्ठ होने के कारण सुख सामग्रियों से युक्त सुखी संपन्न दिखते हुए भी उसके मन में शांति और सुख नहीं रह सकता । जैसे पाप भोग का पहरा प्रारंभ होगा वैसे ही बुरे कर्मों का दंड उभर कर दृष्टिगोचर होने लगेगा । इसलिए हमेशा कर्मों को उत्तम रखना चाहिए तथा शुभ कर्म करें और कर्म वैसा करें जिसे स्वयं का हित हो और हम दूसरों का भी भला करें । उन्होंने आगे कहा जैसे सैकड़ो गायों के झुंड में भी बछड़ा अपनी मां को ढूंढ लेता है वैसे ही कर्म अपने कर्ता को ढूंढ लेता है, और कर्मों के अनुरूप ही दंड या पुरस्कार देता है ।

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