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असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, बोकारो ने जारी किया है दिशा -निर्देश।

गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के संबंध में जारी दिशा - निर्देश का करें अनुपालन। 

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असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, बोकारो ने जारी किया है दिशा -निर्देश। 

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असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, बोकारो द्वारा गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) को लेकर दिशा - निर्देश जारी किया है। संबंधितों से अपील है कि जारी दिशा - निर्देश का अनुपालन करें।

असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, बोकारो जिला स्वास्थ्य समिति, बोकारो द्वारा कहा गया है कि गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) एक ऑटोइम्यून न्ययूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिकाओं पर हमला करती है। यह कमजोरी, सुन्नपन और कभी-कभी लकवे का कारण बन सकता है।

हाल ही में महराष्ट्र, राजस्थान एवं झारखण्ड के रांची में (जीबीएस) की एक संभावित मरीज पाये गये है।

- यह संक्रामक बीमारी नहीं है।

- जीबीएस कोई नई बीमारी नहीं है, विश्व स्तर पर हर साल 1-2 मामले प्रति लाख जनसंख्या पर होते है।

- इसके बचाव हेतु शतर्कता आवश्यक है।

जीबीएस की शुरूआती लक्षण:-

पैरों से शुरू होकर शरीर के उपरी हिस्से से कमजोरी, झनझनाहट, सुन्नपन और मांसपेशियों में हल्का कंपन।

गंभीर लक्षण:-

चलने, बोलने या निगलने में कठिनाई, चेहरे, हाथ या पैरों में लकवा, सांस लेने में परेशानी।

यदि इन लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में संपर्क करें।

स्वास्थ्य कर्मी/पदाधिकारी के लिये:-

- किसी भी संभावित मरीज की सूचना अद्योहस्ताक्षरी को अवश्य दें।

- अस्पताल में सक्रिय निगरानी लागू रखेंगे।

- जीबीएस का इलाज Intravenous Immunoglobulin (IVIG)

- Plasmapheresis (Plasma Exchange)

- गंभीर मामले में वेंटिलेटर की आवश्यकता हो सकती है।

- हृदय गति एवं रक्तचाप की निगरानी आवश्यक है।

सामान्य जनता के लिये :-

- साफ-सफाई का ध्यान रखें। साफ एवं उबाल कर पानी पीये।

- भोजन को सही तरीके से पका कर खायें।

- किसी भी संदिग्ध लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।


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