झूमर सम्राट स्वर्गीय विजय महतो द्वारा लगभग 50 वर्ष पूर्व गाया गया यह झूमर गीत “बूढ़ा अंगुल बाढांई ठेप दिते, जीवन गेलो गरू-छागल चराते-चराते” (अंगूठा बढ़ा कर ठप्पा देते-देते, जीवन गुजरा बैल-बकरी चराते-चराते)आज भी विलुप्त होती आदिम जनजाति के सबरों पर चरितार्थ हो रहा है। सबर जनजाति के लोगों के जीवन में जिल्लत ही जिल्लत है। मगर इनके होठों पर है मुस्कान और चेहरे पर हैं हर किसी को विश्वास करने के भाव। तभी तो वे कल भी ठगे जाते थे और आज भी ठगे जा रहे हैं।
इनके उत्थान के लिए केंद्र और राज्य सरकारें करोड़ों लागत की कई योजनाएं चला रही हैं। मगर इन योजनाओं की अधिकांश राशि बिचौलिए और नौकरशाहों की जोड़ी गटक जा रही है।सबर तो सिर्फ अंगूठे का निशान लगाते हैं और लूट का खेल बिचौलिए तथा नौकरशाह करते हैं। जनप्रतिनिधि इस खेल को मूकदर्शक बनकर देखते हैं।इसका ज्वलंत उदाहरण है डुमरिया प्रखंड की केंदुआ पंचायत स्थित पहाड़ पर बसा सबर बहुल दामपाबेड़ा टोला। इस टोला में 15 सबर परिवार आदिम युग की जिंदगी जी रहे हैं।झोपड़ी में और प्लास्टिक के नीचे प्रकृति के भरोसे जी रहे हैं।बीमारी से कई सबर जिंदा लाश बन गए हैं। पंचायत की मुखिया फुलमनी मुर्मू इस टोला में पहुंची तो सबरों की जिल्लत भरी जिंदगी की डरावनी तस्वीरें सामने आईं।
कभी इस टोला में 25 से 30 सबर परिवार निवास करते थे. परंतु आज सिर्फ 15 परिवार बचे हैं और वे भी कितने दिनों तक बच पाएंगे कहना मुश्किल है. क्योंकि यहां के सबर बीमारी और भूख से त्रस्त हैं। इनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। टूना सबर जिंदा लाश समान बिस्तर पर पड़ा है।अधिकांश सबर किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित हैं। पीने के लिए स्वच्छ पानी भी नसीब नहीं है।
मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर गरीब टुना सबर को नयी जिंदगी मिल गई। टूना को चर्म रोग ने विभत्स रूप से जकड़ रखा था। उसका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि टूना अब अपने पुराने रंग रूप में नजर आयेगा। मुख्य मंत्री हेमंत और मंत्री चंपई सोरेन तक जब टूना का मामला पहुंचा तो तुरंत जमशेदपुर उपायुक्त विजया जाधव को उसके इलाज का निर्देश दिया गया। डीसी ने एम्बुलेंस भेज टुना सबर को जमशेदपुर स्थित सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सकों की एक टीम टुना सबर का इलाज कर रही है। टूना सबर डुमरिया के दंपाबेडा गांव में रहता है।
डुमरिया प्रखंड अंतर्गत केंदुआ पंचायत के दंपाबेड़ा में बीमार टुना सबर अन्य सबर परिवार के लिए वरदान साबित हुआ। डीसी विजया जाधव के निर्देश पर गांव में विशेष शिविर लगाकर सभी सबर परिवारों के स्वास्थ्य जांच की गई। दंपाबेड़ा गांव में सबर जनजाति के बारह परिवारों का बसेरा है। सभी को डाकिया योजना के तहत माह जनवरी तक खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया है। मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत बकरी पालन के लिए सबर परिवार से आवेदन लिए गए हैं। जल्द सबर परिवारों को सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ दिया जायेगा।
आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के बाद एवं पूर्व से ही वर्तमान सरकार राज्य के दुर्गम क्षेत्र में निवास करने वालों तक पहुंच रही है। विकास और योजनाओं से अछूते लोगों को कैम्प लगाकर योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।
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