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कुड़मी विकास मोर्चा के तत्वावधान भगवान बिरसा मुंडा जयंती एवं झारखंड राज्य स्थापना दिवस धूमधाम मनाया गया।

कुड़मी विकास मोर्चा के तत्वावधान भगवान बिरसा मुंडा जयंती एवं झारखंड राज्य स्थापना दिवस धूमधाम मनाया गया। 




गोड्डा: आज दिनांक 15 नवंबर 2022 को गोड्डा जिला के पथरगामा प्रखंड के पीपरा पंचायत होपना टोला गाँव में भगवान बिरसा मुंडा जयंती एवं झारखंड राज्य स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। वहीं कुड़मी विकास मोर्चा के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार महतो जी ने बताया कि आज झारखंड राज्य स्थापना दिवस है जननायक भगवान बिरसा मुंडा जी के जन्म दिवस  के रूप में मनाया जाता हैं आज मेरा झारखंड 22 साल का हो गया। झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता महागुरू बिनोद बिहारी महतो, वीर शहीद निर्मल महतो, गुरु जी शिबू सोरेन, काॅमरेड ऐके राय को भी याद किया जायेगा। क्योंकि झारखंड राज्य आंदोलन में उनलोगों की भी बहुत बड़ी भूमिका रही है।    जनजातियों को जल, जंगल और जमीन से बेदखल किये जाने के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड में खूंटी जिले के उलीहातू गांव में हुआ। वे मुंडा जनजाति से संबंध रखते थे, जो छोटानागपुर के पठारों में निवास करती है।

बिरसा मुंडा को 'धरती आबा' के नाम से जाना जाता है और अंग्रेजी हुकूमत, जमींदारी प्रथा और सूदखोर महाजनी व्यवस्था के खिलाफ उनके ऊलगुलान (महाविद्रोह) को प्रतिनिधि घटना के तौर पर याद किया जाता है। बिरसा मुंडा ने 1895 से 1900 तक आदिवासी अस्मिता, स्वतंत्रता और संस्कृति को बचाने के लिए विद्रोह किया।

दरअसल, 1894 में छोटानागपुर में मानसून की बारिश नहीं हुई। इसके बाद इलाके में भीषण अकाल और महामारी फैली। इस दौरान बिरसा मुंडा ने लोगों के बीच काफी काम किया और उन्हें एकजुट किया। वर्ष 1900 तक मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध और टकराव होता रहा। साल 1897 में बिरसा मुंडा ने तीर-कमान से लैस अपने 400 साथियों के साथ खूंटी थाने पर हमला कर दिया। 1898 में भी अंग्रेजी सेना के साथ बिरसा मुंडा का टकराव हुआ। जनवरी 1900 में डोम्बरी पहाड़ पर एक और ऐसा ही संघर्ष हुआ, जब बिरसा मुंडा एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस टकराव में कई औरतें और बच्चे भी मारे गए। लगभग महीने भर बाद फरवरी में चक्रधरपुर के जमकोपाई जंगल से अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें दो साल की कैद की सजा सुनाई गई। उन्हें रांची कारागार में रखा गया, जहां 09 जून 1900 को उनकी मौत हो गयी। अंग्रेजों ने उन्हें विष दे दिया था। एक बड़े हिस्से के जनमानस में इस महान नायक को भगवान की तरह पूजा जाता है।

 मोके पर उपस्थित कुड़मी विकास मोर्चा के जिला कोषाध्यक्ष दीपक कुमार महतो, अजय कडुआर, गौतम महतो,  अक्षय महतो, नीलकंठ महतो, मुकेश महतो, दिव्यांश कुमार महतो, विनय महतो, धर्मेन्द्र मड़ैया, जयेष महतो, सपन महतो, दीप्ति श्री महतो, कलावती महतो, सोनी महतो, चुन्नी महतो, रिंकी महतो, गायत्री महतो, आरती महतो, मीना महतो, जुही महतो, संगीता महतो, सुष्मिता महतो आदि सैकड़ों महिला पुरुष उपस्थित थे।

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