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यह सिर्फ उनकी फुटबॉल यात्रा की शुरुआत: अष्टम उरांव

फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप 2022 से भारत की निकासी के बावजूद भारतीय टीम की कप्तान अष्टम उरांव का मानना है कि यह सिर्फ उनकी फुटबॉल यात्रा की शुरुआत है। अष्टम ने  कहा,‘‘हमारा विश्व कप अभियान भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन फुटबॉल खेलने का हमारा जुनून खत्म नहीं हुआ है। हमारी फ़ुटबॉल यात्रा अभी शुरू हुई है और मैं अन्य लड़कियों के साथ-साथ उनके माता-पिता से उन्हें फ़ुटबॉल खेलने की आज़ादी देने के लिए कहती हूं, या जो भी खेल उन्हें पसंद है। किसी भी बच्चे के बढ़ने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए माता-पिता का सहयोग बहुत जरूरी है।''

फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप में भारत का सफर निराशाजनक रहा और उन्हें ग्रुप स्टेज के अपने तीनों मुकाबलों में हार मिली। भारतीय लड़कियां अमेरिका (8-0), मोरक्को (3-0) और ब्राज़ील (5-0) के खिलाफ मैचों में एक भी गोल नहीं कर सकीं। उन्होंने कहा,‘‘हमारे परिणाम भले ही उम्मीद के मुताबिक न रहे हों लेकिन हर कोई हमारे संघर्ष को देख सकता है। मैं हर माता-पिता और लड़की से आग्रह करता हूं कि वे न केवल परिणाम देखें बल्कि हमारी कड़ी मेहनत पर विश्वास करें। मुझे उम्मीद है कि कई लड़कियां यह खेल खेलेंगी और भारत में महिला फुटबॉल को विकसित करने के लिए लड़ने की कोशिश करेंगी।'' 

भारत ने अंडर-17 महिला विश्व कप में पहली बार हिस्सा लिया था। भारतीय टीम मेज़बान होने के आधार पर क्वालीफाई करके टूर्नामेंट में आई थी। अष्टम ने विश्व कप अनुभव के बारे में कहा,‘‘विश्व कप में हम सभी ने बहुत कुछ सीखा। भले ही हम अपने सभी मैच हार गए हों, लेकिन इससे हमने बहुत अहम बात सीखी, अगर हम अपनी गलतियों को नहीं सुधारते तो हर कोई उनका उपयोग हमारे खिलाफ करेगा।'' 

उन्होंने कहा, 'हमें टूर्नामेंट के दौरान अमेरिका और ब्राजील जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ खेलने का अवसर मिला। हमने अंत तक संघर्ष किया और अपनी कमजोरियों के बारे में जाना। मोरक्को भी एक अच्छी टीम है, और उनके खिलाफ खेलना एक आंख खोलने वाला अनुभव था। हमें पता चला कि हम किस स्तर पर हैं। अब केवल एक चीज महत्वपूर्ण है, वह यह कि ऐसे विरोधियों के खिलाफ अच्छा खेलने के लिए खुद को कैसे तैयार किया जाए।

अष्टम ने प्रशंसकों को उनके समर्थन के लिये धन्यवाद देते हुए कहा, ‘‘ जो भी हमारा समर्थन करने आया, मैं आप सभी को दिल की गहराइयों से धन्यवाद देना चाहती हूं। उन्होंने अपना समय निकालकर हमारा समर्थन किया। स्टेडियम में प्रशंसकों के साथ-साथ जिसने भी हमें प्रसारण के माध्यम से देखा, उनका समर्थन हमारे लिए और भारतीय फुटबॉल के लिए बहुत मायने रखता है। यह वास्तव में हम में से प्रत्येक के लिए महत्वपूर्ण था, इसलिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

अष्टम जब कैप्टन बनाई गई थीं तो झारखंड सरकार ने उनके सम्मान में सड़क बनाने का ऐलान किया। अष्टम के गांव तक सड़क नहीं थी। सरकार के इस ऐलान की तारीफ हुई थी, काम शुरू हुआ तो गांववाले भी खुश हुए।

लेकिन अष्टम के माता-पिता ढाई सौ रुपए की दिहाड़ी के लिए उसी सड़क पर बालू ढो रहे हैं। मजदूरी कर रहे हैं। जब सवाल किया गया तो अष्टम के पिता हीरा उरांव बोले- मजदूरी नहीं करेंगे, तो परिवार का पेट कैसे भरेगा।

मां तारा देवी ने कहा कि बेटी भारत की कप्तान बन गई है। बहुत खुशी है। अष्टम शुरू से ही जुझारू है। वह जिस काम को ठान लेती है। उसे पूरे मन के साथ करती है। हमने बेटी को पानी भात और बोथा साग खिलाकर बड़ा किया है। जब नौकरी करने लगेगी तो काम छोड़ देंगे।

अष्टम के पिता हीरा बिशनपुर प्रखंड के मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी थे। बनारी पंचायत के मुखिया बसनु उरांव ने बताया कि जंगल और पहाड़ के बीच बसे गांव में रहने वाले हीरा की आर्थिक स्थिति खराब है। मजदूरी करना उनकी मजबूरी है। घर भी मिट्टी का है, जो जर्जर स्थिति में है। हमने प्रशासन से कहा है कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास दिया जाए। हमारी बच्ची अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टीम में कप्तान बनी, हम लोगों के लिए ये बहुत बड़ी बात है। अष्टम के गांव लौटने पर उसका जोरदार स्वागत किया गया।

अष्टम का गांव गुमला शहर से 56 किलोमीटर की दूरी पर है। उसके माता-पिता का घर मिट्टी का है। अष्टम के पिता पेशे से किसान हैं, लेकिन परिवार के पास सिर्फ एक एकड़ जमीन है। इसमें साल में सिर्फ धान की एक फसल होती है।

अष्टम की दो बहनें और एक भाई है। बड़ी बहन सुमिना उरांव राष्ट्रीय स्तर की डिस्कस थ्रो एथलीट है। सबसे छोटी बहन अलका इंदवार झारखंड अंडर 16 फुटबॉल टीम की खिलाड़ी है। भाई सबसे छोटा है। वह पढ़ाई कर रहा है।

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