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धनतेरस के साथ ही पांच दिवसीय दीपावली पूजन होगी प्रारंभ।

 


गुंजन  आनंद

ब्यूरो/ पाकुड़
हिंदू धर्म में दीपावली पर्व का काफी अधिक महत्व रहा है। इसकी शुरुआत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के 13 वी त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस है मनाया जाता है। इसी के साथ पांच दिवसीय दीपावली पर्व शुरू हो जाती है। धनतेरस नरक चतुर्दशी दीपावली गोवर्धन पूजा भैया दूज के साथ दीपावली का पर्व संपन्न होता है ।इस दिन भगवान गणेश, महालक्ष्मी, धन्वंतरि एवं कुबेर जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है । धार्मिक मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन चल अचल संपत्ति के साथ साथ धातु का सामान खरीदना शुभ माना जाता है। आचार्यों के अनुसार 27 वर्ष बाद धनतेरस का मान 2 दिनों तक रहेगा । त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर को शाम 6:02 बजे से प्रारंभ होगी एवं 23 अक्टूबर के शाम 6:03 मिनट पर इसका समापन होगा। यदी उदया तिथि को माने तो 23 अक्टूबर को धनतेरस दिन माना जाएगा। इस दिन भगवन धन्वंतरि की पूजा, मां लक्ष्मी की पूजा, और कुबेर की पूजा की जाएगी। 23 अक्टूबर को प्रदोष व्रत होगा और सनी भी मार्गी हो रहे हैं । यह कई राशियों के जीवन में धन-संपत्ति समृद्धि लाएगी। उदया तिथि के अनुसार 24 अक्टूबर को ही छोटी दीपावली (नरक चतुर्दशी एवं हनुमान जयंती )भी मनाई जाएगी। 23 अक्टूबर को शाम 6: 04 बजे से चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी 24 अक्टूबर के शाम 5:28 तक रहेगी। इसी दिन शाम 5:28 से अमावस्या की तिथि प्रारंभ हो जाएगी। 25 अक्टूबर को शाम 4:19 तक रहेगी। क्योंकि 25 अक्टूबर को प्रदोष काल से पहले अमावस्या समाप्त हो जाएगी इसलिए 24 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व मना जाएगा।दीपावली के दिन लक्ष्मी एवं गणेश के साथ-साथ मां सरस्वती मां काली तथा धना अध्यक्ष भगवान कुबेर की भी पूजा की विधान है। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को ही है। इस दिन प्रदोष काल में शाम 5:25 से 6:13 तक एवं वृषभ लग्न में शाम 6:44 से रात 8:37 से एवं सिंह लग्न में रात्रि 1: 19 से रात 3:26 तक पूजन किया जा सकता है। धन्वंतरी देव की पूजा का शुभ मुहूर्त है 23 अक्टूबर 5:44 मिनट से 6:05 तक।
एक दूसरे आचार्य के अनुसार कृष्ण पक्ष की तिथि 23 अक्टूबर को शाम 6:04 से 24 अक्टूबर के 5:28 तक एवं कृष्ण पक्ष की अमावस्या 24 अक्टूबर के शाम 5:28 से 25 अक्टूबर के शाम 4:18 तक रहेगी। एवं लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त 24 अक्टूबर को संध्या 6:53 से रात 8:16 तक ।अभिजीत मुहूर्त एक 11:19 से दोपहर 12:05 तक ।विजय मुहूर्त दोपहर 1:36 से 2: 21 मिनट तक किया जा सकता है। इसके अलावा लग्न के अनुसार आप पूजन कर सकते हैं।
सर्वोत्तम यह रहेगा कि आप अपने पंडित जी से अपने नाम राशि एवं गणना के हिसाब से लक्ष्मी पूजा की समय सीमा तय करें।

दीपावली और सूर्य ग्रहण क्या है हिसाब

दीपावली के दूसरे दिन साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को खंड सूर्य ग्रहण लगेगा । सूर्य ग्रहण शाम 4 :40 से शाम 5:24 तक रहेगा। 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाएगा। इस सूर्य ग्रहण का स्पर्श भारत में दिन के 11:28 में हो जाएगा। और करीब0 7:05 घंटे के बाद शाम 5:24 बजे मोक्ष होगा। वही ग्रहण का सूतक 12 घंटा पूर्व अर्थात 24 अक्टूबर की रात 11:28 से प्रारंभ मानी जाएगी ।इसलिए दीपावली अगली सुबह ग्रहण के सूतक काल में ही होगी । यह सब भिभिन्न पंडित जी की राय है।धर्म ग्रंथ की माने तो तो सूतक काल के दौरान मूर्ति पूजा निषेध है। यही नहीं इस दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी पत्ते डालकर रखे जाते हैं ।इसके अलावे मंदिरों में ग्रहण के बाद साफ सफाई होने के बाद ही पूजा पाठ प्रारंभ की जानी चाहिए । यदि ज्योतिषियों की माने तो इस बार ग्रहण का स्पर्श भारत भी होगा। ऐसा कोई ग्रहण नहीं जिसका असर राशियों पर ना हो अच्छा होगा की ग्रहण काल में ईश्वर का नाम भेजें और अच्छा खराब अपने पंडित जी से जाने।

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