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जलवायु का दोहन पूरे विश्व ने किया, लेकिन अब सस्टेनेबल एप्रोच को ले आगे बढ़ने की आवश्यकताः उपायुक्त

जलवायु का दोहन पूरे विश्व ने किया, लेकिन अब सस्टेनेबल एप्रोच को ले आगे बढ़ने की आवश्यकताः उपायुक्त

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धरती को बचाने के लिए अपने अंदर बोध पैदा होने की है जरूरत, उपस्थित मुखियागण बने इसका नेतृत्वकर्ता

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सभी अपने प्रयासों से बोकारो जिले को पूरे देश के लिए उदाहरण प्रस्तुत करें, एक बड़ा प्लान तैयार करें

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उपायुक्त श्री अजय नाथ झा ने उपस्थित लोगों को दिलाया संकल्प, एक साल में करेंगे इस दिशा में बेहतर काम

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जंगल को कैसे और बेहतर करें इस पर करना है काम, पंचायती राज प्रतिनिधियों की अहम भूमिकाः डीएफओ

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वन उपज के एमएसपी निर्धारण में ग्राम सभा की भूमिका महत्वपूर्ण, समस्या ग्लोबल हैं, लेकिन प्रभावित स्थानीय लोग हो रहे ज्यादा 

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जायका हैपनिंग सभागार में पंचायत सम्मेलन का हुआ आयोजन, जल वायु वित्त एवं कामन्स शासन पर पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण विषय पर हुई चर्चा

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बुधवार को कैंप टू स्थित जायका हैपनिंग सभागार में पीडीजे,असर एवं पंच सफर संस्था द्वारा जलवायु वित्त एवं कॉमन्स शासन पर पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण विषय पर पंचायत सम्मेलन (सीओपी) का आयोजन किया गया। सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि उपायुक्त श्री अजय नाथ झा, विशिष्ट अतिथि जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) श्री रजनीश कुमार, विभिन्न पंचायतों के मुखिया, विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि आदि शामिल हुएं। 

उपायुक्त ने दिलाया संकल्प – करेंगे स्थायी समाधान के दिशा में कार्य

उपायुक्त श्री अजय नाथ झा ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है, लेकिन इसका प्रभाव सबसे अधिक स्थानीय स्तर पर देखने को मिलता है। कहा कि जलवायु का दोहन पूरे विश्व ने किया, पर अब समय आ गया है कि हम सबको मिलकर इस पर सस्टेनेबल एप्रोच अपनाना होगा और आगे बढ़ना होगा। धरती को बचाने के लिए पहले खुद के भीतर बोध जगाना जरूरी है। यह कार्य केवल अपने लिए नहीं, धरती को बचाने के लिए करना है। पंचायत प्रतिनिधि/मुखियागण इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाएं। ग्रामीणों को जागरूक करें, नेतृत्वकर्ता बनें।

उपायुक्त ने उपस्थित सभी मुखियागणों को संकल्प दिलाया कि अगले एक वर्ष में हम अपने-अपने क्षेत्रों में जलवायु संरक्षण एवं पर्यावरणीय सुधार की दिशा में ठोस कार्य करेंगे और बोकारो को पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनाएंगे। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों/संस्थाओं से अपील किया कि वे स्थानीय स्तर पर एक बड़ा प्लान बनाएं और जिला प्रशासन के साथ मिलकर कार्य करें। 

पंचायती राज प्रतिनिधि बनें बदलाव के वाहक

उपायुक्त ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था का सबसे बड़ा आधार जन सहभागिता है और जलवायु संरक्षण का वास्तविक समाधान भी यहीं से निकलता है। पंचायत प्रतिनिधि ग्रामसभा की शक्ति का उपयोग कर प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, पौधारोपण, जल संरक्षण,आरगेनिक खेती को बढ़ावा दें। वन विभाग द्वारा संचालित योजनाओं/कार्यक्रमों में भागीदार बनें। 

ग्राम सभा की भूमिका अहमः डीएफओ

मौके पर उपस्थित वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री रजनीश कुमार ने कहा कि जंगलों के संरक्षण एवं विस्तार के लिए पंचायत प्रतिनिधियों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वन उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारण में ग्राम सभा की भूमिका नहीं केवल कानूनी रूप से मान्य है, बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण से भी जरूरी है।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि समस्या भले ही वैश्विक हो, लेकिन इसका सीधा प्रभाव स्थानीय समुदायों पर पड़ता है, इसलिए स्थानीय भागीदारी ही इसका स्थायी समाधान है। इस बात की उन्होंने कुछ उदाहरण देकर स्पष्ट किया। उन्होंने इसके लिए नीतियों/योजनाओं को ग्राम स्तर से उपर जाने की बात कहीं। 

सम्मेलन में हुआ संवाद, साझा किया अनुभव

सम्मेलन में पंचायत प्रतिनिधियों ने भी अपने-अपने अनुभव साझा किए और पर्यावरणीय सुधार से जुड़ी योजनाओं पर चर्चा की। विशेषकर जलस्रोतों के पुनर्जीवन, सामुदायिक वन संरक्षण, और पारंपरिक कृषि पद्धतियों को पुनर्जीवित करने पर बल दिया।

संस्थाओं ने अपने द्वारा किए गए कार्यों को बताया

इस अवसर पर असर संस्था के निदेशक राज्य जलवायु कार्रवाई श्री मुन्ना झा, निदेशक पंच सफर गुलाब चंद्र, सीनियर प्रिंसिपल कंसलटेंट पीडीएजी एवं ओंकार नागवाड़े ने काफ्रेंस आफ पंचायत (सीओपी) के विकास यात्रा – अब तक की गई कार्रवाई/निष्कर्षों से सभी को विस्तार से अवगत कराया। 

मौके पर सहायक जनसंपर्क पदाधिकारी अविनाश कुमार सिंह समेत, संस्था के अन्य अधिकारी – कर्मी, पंचायत प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे। 

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