रिसर्च में तथ्यों को चुरा कर नहीं बल्कि निष्पक्षता के साथ करें कार्य
वर्कशॉप में रिसर्च मेथाडोलॉजी के विषय पर विद्वानों ने रखें विचार
बोधगया। मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के मानविकी संकाय, ग्लोबल संस्कृत फोरम, नई दिल्ली एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में 'शोधपद्धति के विविध आयामों के मानचित्रण' विषयक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन डॉ राधाकृष्ण सभागार हॉल महनीय विद्वानों और विशेषज्ञों का साक्षी बना है। पहले सत्र की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ प्रारंभ हुई,जिसकी अध्यक्षता अंग्रेजी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो निभा सिंह ने की है।
इस सत्र में बाबा गुलाम शाह बादशाह यूनिवर्सिटी, जम्मू कश्मीर के एकेडमिक अफेयर्स विभाग के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद जहांगीर वारसी एवं जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली के उर्दू विभाग के पूर्व विभागध्यक्ष प्रो शहजाद अंजुम ने ऑनलाइन माध्यम से अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए शोध आधारित गुणवत्ता पर विशेष व्याख्यान दिया है ।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी,प्रयागराज के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो ऋषिकांत पांडेय ने शोध में एकरूपता विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि शोध कार्य शुरू करने के पहले उनके आचार संहिता को जाना आवश्यक है। शोध की उपयोगिता तभी है जब उनके महत्व को समझा जाए। शोध में किसी के विचारों को चुराना नहीं चाहिए बल्कि अपने तरीके से खोज अन्वेषण कर वास्तविक तथ्यों को परोसे। प्रथम सत्र का संचालन उर्दू विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जियाउल्लाह अनवर एवं एलएसडब्लू डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ वंदना कुमारी ने की है।
अगले सत्र में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के हिंदी विभाग अध्यक्ष प्रो मृत्युंजय सिंह ने शोध के चयन विषय पर कहा कि शोध करने से पूर्व में शोध प्रबंध के विषयों की अच्छी तरह से समझ और जानकारी होनी चाहिए। मानविकी विषय की बात करें तो देश में लगभग सर्वाधिक शोध हिंदी विषय में होते हैं। बदलते दौर में शोध की गुणवत्ता में कमी आई है जो चिंता का विषय है। जिसका मुख्य कारण शोधार्थियों की लापरवाही है। शोध में विषय चयन में शोधार्थियों की रुचि होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि परिश्रम, समर्पण और ईमानदारी से किया गया शोध कार्य प्रभावी होता है उसकी मौलिकता बनी रहती है। शोध से पूर्व शोध प्रारूप तैयार करें, जो विवरणात्मक विश्लेषणात्मक और तुलनात्मक हो। शोधार्थियों को अध्ययनशील होना होगा।तभी वह आसानी से शोध कर पाएंगे।बुद्धिमत्ता और ज्ञान वह पूंजी है जिससे शोध में गुणवत्ता आती है।हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो डॉ सिद्धार्थ शंकर राय ने शोध कार्य के उपसंहार,भूमिका, भाषा शैली, निष्कर्ष आदि विषय को बारीकी से समझाया है।
मंच का संचालन डॉ राहुल कुमार एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं हिंदी विभाग के प्रो डॉ परम प्रकाश राय ने की है। पांचवें सत्र में कार्यक्रम की अध्यक्षता अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो सरिता वीरांगना ने की है। इस सत्र में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ के अंग्रेजी के प्रो डॉ रिजवान खान एवं फारसी के प्रो उस्मान गनी ने ऑनलाइन माध्यम से शोधार्थियों को विभिन्न तरीके और उपाय बताए हैं। वही संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय काशी के पालि एवं थेराबाद विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रमेश प्रसाद एवं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रयागराज के दर्शनशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार सिंह ने शोध की गुणवत्ता पर प्रकाश डाला है। और इस अवसर पर मानविकी संकाय की संकायाध्यक्ष अध्यक्ष डॉ रहमत जहां, अंग्रेजी विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रो निभा सिंह,कोऑर्डिनेटर सह अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सरिता वीरांगना, डॉ नीरज कुमार, आयोजन समिति के सचिव सह कोषाध्यक्ष डॉ संजय कुमार, आयोजन समिति के सचिव डॉ जियाउल्लाह अनवर, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बृजेश राय, इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो पीयूष कमल सिन्हा,समाजशास्त्र विभाग अध्यक्ष प्रो प्रमोद कुमार चौधरी,पाली विभागाध्यक्ष प्रो संजय कुमार,डॉ तरन्नुम जहां, डॉ ममता मेहरा, डॉ एकता वर्मा, डॉ परम प्रकाश राय, डॉ प्रियंका तिवारी, डॉ बागेश कुमार एवं डॉ मुमताज अहमद शोधार्थी अभिषेक कुमार निराला, मधुरेंद्र कुमार, अश्वनी कुमार, वासिफ रजा समेत शिक्षक और विभिन्न विभागों के विभागध्यक्ष उपस्थित थे।
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