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सुहाग की लंबी आयु का पर्व वट सावित्री व्रत पूजा के मौके पर आज सुहागिन महिलाओं ने अखंड सौभाग्यवती होने और पति को दीर्घायु के लिय वट वृक्ष की पूजा की ।

मो० शबा की रिपोर्ट 

तेनुघाट  --- सुहाग की लंबी आयु का पर्व वट सावित्री व्रत  पूजा के मौके पर आज सुहागिन महिलाओं ने अखंड सौभाग्यवती होने और पति को दीर्घायु के लिय वट वृक्ष की पूजा की । इस दौरान महिलाओं ने बरगद के पेड़ में रंगीन कच्चा धागा बांधकर वट वृक्ष की परिक्रमा की । कहा जाता है कि भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिए माता लक्ष्मी ने भी आज के दिन वट वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को खुश किया था, इसलिए सुहागिन महिलाएं भी आज के दिन ये पूजा करती हैं । तेनुघाट, चापी, सरहचिया, घरवाटांड़, उलगड्डा और आस पास के विभिन्न क्षेत्रों मे सुबह से ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती नजर आई । इस दौरान महिलाओं ने अपने पति के सुहाग को अमर रहने की कामना की,  साथ ही विद्वान पंडित के द्वारा कथा भी सुनी । बताते चले कि इस मौके पर बरगद के पेड़ के नीचे सुहागिन महिलाओं का हुजूम रहा । बताया जाता है पतिवर्ता स्त्री सावित्री ने अपने पति का प्राण हरने आए यमराज से जिद्द कर वट वृक्ष के निचे ही अपने पति के प्राण वापस लौटा लिया था । उसी पौराणिक कथाओं पर आज भी महिलाएं व्रत कर वट वृक्ष की पूजा करती हैं और पति के सुहाग को अमर रहने की कामना करती हैं । दूसरी मान्यता यह भी है कि भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिए माता लक्ष्मी ने भी आज के दिन वट वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को खुश किया था। 'पौराणिक कथानुसार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष पूजन किया था । भगवान विष्णु ने इस पूजा से खुश होकर माता लक्ष्मी को वरदान दिया , और कहा कि जो भी सुहागिन महिला वट वृक्ष के नीचे मेरी आराधना करेगी, उसका व्रत सफल होगा । वहीं वैज्ञानिक रूप से बरगद के पेड़ की जड़, तना, फल तीनों में ही औषधीय गुण पाए जाते हैं । बरगद के पेड़ का सिर्फ धार्मिक ही नहीं है, बल्कि आयुर्वेद में बहुत महत्व बताया गया है । इससे कई प्रकार की औषधियां प्राप्त की जा सकती हैं । घाव या खुली चोट है, तो बरगद के पेड़ के दूध में हल्दी मिलाकर चोट वाली जगह पर बांधने से घाव जल्दी ही भर जाता है । इसके अलावा बरगद के पेड़ के पत्तों से निकलने वाले दूध को चोट, मोच या सूजन पर दिन में दो से तीन बार लगाकर मालिश करने से आराम मिलता है । पंडित बलदेव मिश्रा और राजीव पांडेय के अनुसार वट सावित्री पूजा के दिन वट वृक्ष का पूजन-अर्चन करने का विधान है । व्रत करने से सौभाग्यवती महिलाओं की मनोकामना पूर्ण होती है और उनका सौभाग्य अखंड माना जाता है ।

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