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सादगी,शालीनता के प्रतीक थे पत्रकार लाला जगत ज्योति प्रसाद

सादगी,शालीनता  के प्रतीक थे पत्रकार लाला जगत ज्योति प्रसाद


सज्जन कुमार गर्ग 
मुंगेर।समकालीन साहित्य मंच के तत्वावधान में चुवा बाग स्थित आवास में पत्रकार लाला जगत ज्योति प्रसाद की26वीं पुण्य स्मृति दिवस पर श्रद्धांजली समारोह का आयोजन किया गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुंगेर प्रेस क्लब के अध्यक्ष राणा गौरी शंकर ने कहा कि 26 वर्षों के बाद भी आज लालाजी की अनुभूति महसूस होती है। पत्रकार एवं साहित्यकार विचारों में जीवित होते हैं। लालाजी अपने विचारों के माध्यम से हमारे बीच आज भी विद्यमान है। वे पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्पन्न जिम्मेदारियों से नव पत्रकारों को सदैव अवगत कराते रहते थे। आज जब पत्रकारों में सम्मान का भाव समाप्त हो गया है ऐसे समय में भी लालाजी पत्रकारिता के क्षेत्र में सम्मान के प्रतीक थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समकालीन साहित्य मंच के सचिव अनिरुद्ध सिन्हा ने कहा कि लालाजी प्रमुख मानवीय गुणों से ओत-प्रोत थे। उन्होंने उनकी सादगी,शालीनता, समाज के प्रति प्रतिबद्धता एवं ईमानदारी से लोगो को अवगत कराया और कहा कि इस अर्थ युग में भी लालाजी अर्थ दोहण या अर्थ लोभ से मुक्त थे।अंगिका के वरिष्ठ कवि विजेता मुदगलपुरी ने कहा कि पत्रकारिता एवं साहित्य के माध्यम से उन्होंने समाज में जो ज्योति फैलाई उससे आज भी हम सभी आलोकित हो रहे हैं ।कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन ने लाला जगत ज्योति प्रसाद जी की पत्रकारिता से सीख लेने का आह्वान किया और कहा कि लालाजी जैसे पत्रकारों की कमी से समाज में जो रिक्तता का भाव उत्पन्न हुआ है, उनके विचार को अपनाकर ही उसे  पूरा किया जा सकता है ।लालाजी को जुझारू सामाजिक सेनानी और असाधारण समाजसेवी बतलाया ।वक्ताओ ने कहा कि लालाजी ने अपने संवेदनशील लेखन के माध्यम से संस्कृति एवं सामाजिक क्रांति की मशाल को देश और राष्ट्र के विकास के लिए जागृत करने का काम किया।  लाला जी समाज में गुणात्मक बदलाव लाने का काम किया ।सज्जन कुमार गर्ग ने कहा कि लाला जी एक वैसे पत्रकार एवं साहित्यकार थे जो अपने विचारों के माध्यम से समाज के लिए उत्प्रेरक का काम करते रहे । उनका स्मरण करना समाज का निर्माण करने जैसा है ।  लालाजी की पौत्री श्रीयांशी सिन्हा ने कहा दादाजी वैचारिक क्रांति के प्रतीक थे। लालाजी के पौत्र सार्थक शेखर सिन्हा ने काव्यांजली अर्पित करते हुए कहा कि “शब्दों में संस्कार डालते, गरीबों एवं मजलूमों के आवाज दादाजी, हर रिश्तों पर प्यार लुटाते, अनुभव एवं ज्ञान के भंडार दादाजी। “ सृष्टि सिन्हा ने कहा दादाजी अपने कर्मों के वजह से अमर है एवं हमें उनसे सदैव प्रेरणा मिलता रह्ता है । कार्यक्रम को , संतोष,अशोक कुमार  शर्मा आदि ने भी संबोधित किया । धन्यवाद ज्ञापन विधु शेखर सिन्हा ने किया।समारोह  में संतोष,तारकेश्वर यादव सहित अन्य मौजूद थें।

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