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उमंग- जिला स्तरीय कार्यशाला आईसीआरडबल्यू द्वारा आयोजित किया गया

उमंग- जिला स्तरीय कार्यशाला आईसीआरडबल्यू द्वारा आयोजित किया गया 
उमंग एक पाँच वर्षीय बहु-स्तरीय कार्यक्रम है, जिसमे कई हितधारकों के साथ मिलकर काम किया गया है | इसका उद्देश्य झारखण्ड सरकार और अन्य समाज सेवी संस्थाओं के साथ मिलकर बाल विवाह के कारणों का पता लगाना और बाल विवाह दर में कमी लाने हेतु काम कर एक मॉडल तैयार करना है|यह कार्यक्रम झारखण्ड के ऐसे दो जिलों गोड्डा और जामतारा से परिचालित है जहाँ पर बाल विवाह की दर बहुत अधिक रही है| जिन सामाजिक बाधाओं का सामना किशोरियां अपने रोजमर्रा के जीवन में कर रही हैं| उमंग कार्यक्रम के द्वारा विभिन्न स्तरों पर उन सभी सामाजिक परिस्थितियों के विभिन्न दृष्टिकोणों को परिपेक्ष में रख कर काम किया गया है। उमंग कार्यक्रम की रूपरेखा ICRW और अन्य सहयोगी संस्थाओं के द्वारा किशोरियों के साथ पहले किये गये कार्यक्रमों जैसे “जेम्स”,”पंख” और “परिवर्तन” के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है|
किशोरियां  और उनके अधिकार इस कार्यक्रम के मुख्य केंद्र बिंदु हैं| उमंग सबसे पहले लड़कियों में एजेंसी (निर्णय लेने कि शक्ति) की कमी और उनकी मोबिलीटी (आवागमन) पर प्रतिबंधों को समाप्त करने, तथा  उनकी आकांक्षाओं और उनके योग्यता को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहित की गयी है जिसमे अभिभावकों का अहम योगदान रहा| किशोरी सशक्तिकरण की इस प्रक्रिया में माता-पिता, पुरुष,लड़के, शिक्षक, तथा समुदाय के सभी लोग  सरकारी तंत्र की हिस्सेदारी,  मानदंडों और संस्थाओं सहित कई हितधारकों को भी  शामिल किया गया है|
कार्यक्रम की रुपरेखा: स्कूल और समुदाय में  सामूहिक शिक्षा सत्र , समुदाय आधारित  अभियान (कैम्पेन) और नेतृत्व क्षमता का निर्माण:
खेल के माध्यम से समुदाय में लड़कियों को उमंग कार्यक्रम को सम्मिलित किया गया है |
गाँव, विद्यालय एवं विभिन्न स्तरों  पर किशोरी सश्कातिकरण एवं बाल अधिकारों के लिए सरकार द्वारा गठित किये गए समूहों एवं सरकारी प्रणालियों को सशक्त कर उनमें जेंडर एवं किशोरी सशक्तिकरण की चर्चाओं को शामिल किया गया है |
लड़कों और पुरुषों को समूह में एक साथ लाकर मर्दानगी और लिंग भेद की असमानता को रोकने पर चर्चा एवं विश्लेषण तथा लड़कियों के महत्व को बढ़ावा देना|
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ जेंडर आधारित समूह सत्र किया गया |
नुक्कड़ नाटक और रेडियो के माध्यम से  बाल विवाह और लैंगिक समानता, शिक्षा को जारी रखने   के लिये सकारात्मक माहौल एवं सन्देश फैलाना गया |
सरकारी प्रणालियों को किशोरियों संबंधी मुद्दों पर जवाबदेह बनाने हेतु उनसे सामजस्य बनाया गया
कार्यक्रम के परिणाम और मूल्य की प्रमाणिकता के लिये कार्यक्रम का मूल्यांकन किया गया |

 कार्यक्रम का संचालन झारखण्ड के गोड्डा और जामतारा जिले के दो-दो प्रखंडों  में किया है| विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से उमंग तक़रीबन 280,000 किशोरियों , उनके माता-पिता, स्वयं सहायता समूह की सदस्यों , पुरुष और लडकों तक सीधे तौर पर बात – चित  और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 400,000  जनसंख्या तक पहुंच बनी है |
आज के कार्यशाला का उदघाटन डीपीआरओ श्री आलोक जी के द्वारा, डी आर डी ए सभागार, गोड्डा में किया  गया |
कार्यशाला में गोड्डा जिला के शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, JSLPS, समाज कल्याण सभी विभाग के पदाधिकारी एवं गैर सरकारी संस्थान से लगभग 100 व्यक्ति मौजूद रहे |
आईसीआरडबल्यू-उमंग परियोजना के झारखण्ड राज्य प्रमुख डॉ. नसरीन जमाल ने कहा की उमंग कार्यक्र्म के क्रियान्वयन के द्वारा आए हुये तथ्यों और परिणामों से सीखकर हम लोगों को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति के लिए किशोरियों के बहुआयामी और समावेशी विकास से जुड़े कार्यक्रमों की आवश्यकता है. साथ ही उन्होने कहा की हमने यह भी देखा है की उमंग से जुडने के बाद बहुत सी किशोरियाँ अपनी बातों को अपने माता/पिता के पास रखने लगी हैं जिससे वों आगे की पढ़ाई जारी रख पा रहीं है और अपने शादी को लेकर घर में, विद्यालय में और समाज में खुलकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करने लगीं है।

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