Translate

शक्ति पूजन का महापर्व नवरात्र: महंत दुर्गा दास

शक्ति पूजन का महापर्व नवरात्र: महंत दुर्गा दास

सज्जन कुमार गर्ग
नवरात्र माँ दुर्गा का शक्ति पूजन का महान् पर्व है।माँ दुर्गा भक्ति, मुक्ति प्रदायनीय है।यह पूजा दुष्कर्म पर सत्कर्म पर विजय का प्रतिक है।उपयुक्त बातें श्री योगमाया बड़ी दुर्गा स्थान आश्रम के संरक्षक तथा श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन,मुख्यालय प्रयागराज के मुखिया महंत दुर्गा दास जी ने नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना के उपरांत अपने संदेश में कही मंहत श्री दास ने बातया कि माँ दुर्गा के नौ अलग अलग रुपों का प्रतिदिन पूजन होता है।इनमें शैल पुत्री ब्रहमचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता कात्ययिनी, महागौरी तथा सिद्धिरात्री है।परन्तु आध्यात्मिक साधना मार्ग में नित्यदिन तीन तीन दिनों में क्रमशः महाकाली, महालक्ष्मी तथा महा सरस्वती का पूजन करना। शिवत्व प्राप्त करने का संकेत है उन्होंने  बताया कि इसके लिए मनुष्य को अपने अन्त करने से दुष्ठों,अपवित्र आत्माओं तथा आसुरी तत्व को हटाकर उसके स्थान पर सदुगों का निष्कासन तथा सदुगों की अभिवृद्धि करने का नाम नवरात्र है।प्रथम तीन दिन का पूजन महाकाली के रुप में मनुष्यों के अंदर का संस्कसरों, आसुरीवृतियों का नष्ट कर देती है।अगर इस खाली जगहों में मनुष्य दैविक संपति अर्थात् सात्यिक गुणों का भर लेते है तो फिर आगे प्राप्त होता है मनोवांछित फल। अन्यथा फिर से आसुरी शक्ति का प्रवेश होने का डर बना होता है। फलस्वरुप लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पाता है। नवरात्र के तीन दिनों में जो महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है। भक्त को दैविक सम्पदा के रुप में जो आर्शीवाद मिलता है तब भक्त ज्ञान प्राप्ति के योग्य बन जाता है। नवरात्र के अंतिम तीन दिनों का जो पूजन सरस्वती की कृपा से भक्त सतचित आनंद रुप में हो जाता है। सौहभाव में लीन हो जाता है। नवरात्र के अंतिम दशवें दिन कुसंस्कारों को त्याग कर सुसंस्कारों की प्राप्ति विजय दशमी के महोत्सव का रहस्य है। भक्त जन अपने पूर्व सफलता का इजहार विजय दशमी के दिन धुमधाम से मनाते है। मौके पर भक्त सेवक मौजूद थे।

Post a Comment

0 Comments