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बिहार में विख्यात है मुंगेर का दुर्गा विसर्जन

बिहार में विख्यात है मुंगेर का दुर्गा विसर्जन
सज्जन कुमार गर्ग
मुंगेर का विसर्जन पूरे बिहार में प्रसिद्ध है। हर वर्ष दुर्गा विसर्जन के साक्षी न सिर्फ मुंगेर के लोग बल्कि पूरे अंग जनपद के लोग होते है। मुंगेर के ऐतिहासिक पोलो ग्राउंड में रावण दहन के दौरान जो अपार जनसमूह एकत्रित होती है। वहाँ से निकलने के बाद शहर के मुख्य चौराहे पर सड़कों के किनारे देवी विसर्जन की शोभायात्रा के दीदार के इंतजार में रहती है। विसर्जन यात्रा दिन प्रतिदिन उमड़ती भीड़ यह  प्रमाणित करने के लिए काफी है  कि विदेश भले ही हमारी सभ्यता पर आधुनिकता का रंग चढ़ा हो लेकिन शोभा यात्रा की अनेक चीजें अब भी पारंपरिक है। मूक मौन विधुत की आँख-मिचौली के बीच राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की ज्वलंत समस्याओं को उजागर करने और आमजन मानस की चिंतनवृत्ति को झकझोर देने की कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन बिहार राज्य के मुंगेर जिला के विधुत कारीगर कलाकारों द्वारा हर वर्ष दुर्गा पूजा विसर्जन शोभा यात्रा के दौरान किया जाता है। कलाकारों के इस हुनर को देखने विसर्जन की रात शहर के जमालपुर के जुबली बेल नचौक और मुंगेर के अन्य चौक - चौराहे पर जिले के सुदूर क्षेत्रों के लोग सपरिवार उमड़ पड़ते है। विसर्जन शोभा यात्रा का यह खास आर्कषण का केन्द्र होता है। यह प्रदर्शन मुख्य रुप से दुर्गा तथा काली विसर्जन पर प्रदर्शित किया जाता है। कलाकारों का इस बात पर ध्यान रहता है कि साम्प्रदायिक भावना को ठेस नहीं पहुँचे। पूरे मानवीय दृष्टिकोण को अपनाते हुए संवेदनशीलता बनाये रखकर विधुत की की आँख-मिचौली से समस्याओं से ये कलाकार इस प्रकार प्रस्तुति देते है कि हास्य और व्यंग्य दोनों उभर पड़ते है। कभी तो दर्शक के मन प्राणों में बुद्धि जगती है तो कभी उनकी मानसिक वृति झंकृत हो पड़ती है। ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिए वे व्यग्र और बेचैन हो उठते है।यही पर विद्युत कलाकारों की सफलता सिद्ध हो जाती है। इसलिए राज्य के विभिन्न हिस्सें से इन कलाकारों को बुलावा आता रहता है। स्थानीय समस्याओं में नगर परिषद पंचायत, पुलिस से जुडे़ मुद्दे होते है तो राज्य स्तर पर सरकार मुख्यमंत्री, दलगत खीचातान,बाढ़, मँहगाई आदि विषय मुख्य बन जाते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री, सरकार के पास विध्न के मंतव्य,केन्द्र सरकार की योजना तथा अंतराष्ट्रीय स्तर पर शांति वार्ता, सीमा पर घुसपैठ, वैदेशिक नीति, विदेशी कम्पनियों, जम्मू कश्मीर के उत्थान समस्या के समाधान, चीन-पाकिस्तान का रुख, प्रधानमंत्री का नवरात्रि उपवास और अमेरिका, बिट्रेन सहित अन्य देशों के राष्ट्रपति का दिल्ली आगमन आदि मुद्दे उभरकर कर सामने आ पड़े है। चन्द्रयान पर भारत की मिली सफलता। इन समस्याओं मुद्दों के उजागर होने पर जनमत का निर्माण होता हैं। यह लोकतंत्र की सफलता की एक आवश्यक शर्त भी है कि स्वतंत्र जनमत बनें। भारत का लोकतंत्र पूरे विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। केन्द्र में सरकार के बावजूद सभी राज्यों में अलग अलग सरकार है।यहाँ सभी धर्मों सम्प्रदाय के लोग निवास करते है। मूर्ति विसर्जन की भव्य टॉलियाँ पर विधुत की सजावट से प्रदर्शित की जा रही समस्याओं की देखना, अनुप्रमाणित होना और अपनी राय बनाना लोकतंत्र से जुड़ाव का परिचायक है।

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