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माननीय उच्च न्यायालय ने निजी विद्यालयों पर मान्यता के प्रश्न पर पीड़क कार्रवाई नहीं करने का स्टे आर्डर 12 फरवरी तक बहाल रखा है

माननीय उच्च न्यायालय ने निजी विद्यालयों पर मान्यता के प्रश्न पर पीड़क कार्रवाई नहीं करने का स्टे आर्डर 12 फरवरी तक बहाल रखा है - आलोक कुमार दूबे, चेयरमैन पासवा झारखण्ड
2019 में तत्कालीन रघुवर दास भाजपा सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों के मान्यता पर आरटीई कानून में संशोधन कर कठिन शर्तें लागू की थी जिसे निरस्त करने की मांग को लेकर पासवा ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। माननीय उच्च न्यायालय ने दायर याचिका पर आज भी सुनवाई की एवं अपने स्टे ऑर्डर को बहाल रखा है।आज के निर्णय के उपरान्त प्रदेश पासवा चेयरमैन आलोक कुमार दूबे ने कहा माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए निजी विद्यालयों पर मान्यता के प्रश्न पर पीड़क कार्रवाई न करने के अपने पुराने स्टे ऑर्डर को कंटिन्यू रखा है तथा शिक्षा सचिव एवं जिला शिक्षा पदाधिकारियों को स्पष्ट संदेश भी है कि जब तक मामले कोर्ट में लंबित है निजी विद्यालयों के ऊपर किसी प्रकार की पीड़क कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। आलोक दूबे ने कहा झारखंड के कुछ जिलों में निजी विद्यालयों को मान्यता संबंधी ऑनलाइन फॉर्म भरने की बात कह कर लगातार परेशान किया जा रहा है तो कभी मान्यता के प्रश्न पर दबाव बनाए जाते हैं, तो कभी झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा भविष्य में आयोजित होने वाले आठवीं बोर्ड की परीक्षा में बच्चों को नहीं सम्मिलित करने की धमकी देकर परेशान किया जाता है। निजी विद्यालयों को बार-बार आईटीआई के नए संशोधित नियमावली का डर दिखा कर भी परेशान किया जा रहा है।पासवा प्रदेश अध्यक्ष आलोक दूबे ने कहा   माननीय उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग को स्पष्ट रूप से कहा है कि मान्यता के प्रश्न पर याचिका के लंबित रहते और स्टे आर्डर के कंटिन्यू रहते निजी विद्यालयों के खिलाफ कोई भी कठोर कदम नहीं उठाया जाना चाहिए इसके बावजूद अगर शिक्षा विभाग उत्साहित होती है तो उचित नहीं होगा।ज्ञात हो कि माननीय उच्च न्यायालय में यह मामला अभी लंबित है और माननीय उच्च न्यायालय ने पासवा द्वारा जारी केस की अगली सुनवाई 12 फरवरी 2024 रखी है।
आलोक दूबे ने कहा हमने झारखण्ड के मुख्यमंत्री से भी आग्रह किया है कि स्कूलों के संचालन के लिए देश में जब एक कानून बनी हुई है तो उससे अलग झारखण्ड का रास्ता नहीं होना चाहिए और भाजपा के मंसूबे को अविलम्ब निरस्त करना चाहिए जो शिक्षा को नुक़सान पहुंचाता हो।

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