गुंजन आनंद
झारखंड/ पाकुड़
योग भवन पाकुड़ में एक दिवसीय योग परिचर्चा का आयोजन योग शिक्षाविद् , लेखक अबध किशोर सिंह की गरिमामयी उपस्थिता और व्याख्यान के साथ सम्पन्न हुई ।
"योग हमारे जीवन में खुशियाँ प्रतिपल भरता है" इस विषय पर पुस्तक लिखने वाले अवध किशोर सिंह ने चर्चा को प्रारंभ किया, उसके पहले योगाचार्य संजय शुक्ला सभी आगंतुकों को मंच पर अआसीन कराते हुए स्वागत किया । देवघर से आये योग शिक्षाविद् अवध किशोर सिंह के बारे में योगाचार्य संजय शुक्ला ने बिस्तार से बताते हुए योग के बारे में प्रकाश डाला।
बिहार प्रशासनिक पदाधिकारी सह योग के लेखक अबध किशोर सिंह ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारतीय दर्शन की सभी रूढ़िवादी प्रणालियों की दृष्टि में एक लक्ष्य है , पूर्णता के माध्यम से आत्मा की मुक्ति । योग एक प्राचीन अनुशासन है , जिससे व्यक्ति के शारीरिक , मानसिक , भावनात्मक और आध्यात्मिक आयामों में संतुलन और स्वस्थ लाने के लिए बनाया गया है । यह भारत में लंबे समय से लोकप्रिय प्रथा है । जो पश्चिमी समाज में तेजी से आम हो गई है। योग का अर्थ है हमारी व्यक्तिगत चेतना का सार्वभौमिक दिव्य चेतना के साथ समाधि के रूप में जानी जाने वाली एक अति चेतना अवस्था में मिलन । आत्मा को परमात्मा में माया के बंधन से मुक्त करने के लिए एक एकाग्रता की प्रक्रिया । योग सदैव करने के लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है । आज आवश्यकता है कम भोजन , ज्यादा पानी पीना ताकि शरीर हल्का हो, तभी हम निरोग रह पाएंगे। शरीरमद्यम खलु धर्म साधनम्।
हठयोग विकसित कर हमें आसन, मुद्रा , प्राणायाम , सिंहासन पद्मासन , सिद्धासन , भद्रासन ,ध्यानासन और षष्ठासन अवश्य करना चाहिए ।
योगाचार्य संजय शुक्ला के द्वारा मधुमेह , उच्च रक्तचाप के विषय में पूछे गए प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि मधुमेह व उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए योग एक सरल और किफायती चिकित्सा पद्धति बताया गया है ।योग को नियमों के साथ आसन, प्राणायाम करते रहने से इंसुलिन संवेदनशीलता में बृद्धि और शरीर के वजन , कमर की परिधि में कमी आती है और मधुमेह कम से कम हो जाता है । साथ ही हमारा जमीन ( मिट्टी ) समस्त सम्पर्क टूट गया है ,उसे पुन: वापस सहेजने,अभ्यास करने की जरुरत है बड़े - बूढ़ों ने भी कहा है कि धरती पुत्र कभी अस्वस्थ- अप्रसन्न नहीं हो सकते , हमें खाली पैर धरती कि सम्पर्क में रहना चाहिए जो आज के समय में 95% लोगों से नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण लोग अस्वस्थ रह रहे है ।बस जरूरत है इसे लगातार करते रहने की और जागरुकता फैलाने की । योगाचार्य संजय शुक्ला के द्वारा मंच संचालन सहित धन्यवाद ज्ञापित कर आज की सभा समाप्ति की घोषणा की।
इस अवसर पर उनके द्वारा लिखित दो पुस्तक क्रमश: "सम पेजेज फ्रॉम एन आर्काइव ( SOME PAGES FROM AN ARCHIVE )", "योगा ए होप फॉर ऑल द टाइम ( YOGA A HOPE ALL THE TIME )" को उपस्थित श्रोताओं, बुद्धिजीवियों, विद्वानों के बीच रतन कुमार सिंह के द्वारा भेंट स्वरुप दिया गया । प्रो. त्रिवेणी प्रसाद भगत, सी.एस.झा, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, डॉ.. मनोहर कुमार, मीरा प्रवीण सिंह, राजीव पाण्डेय, पूनम राव सेन, ऋतु पाण्डेर, डॉ. अशोक कुमार, दीपक सेन , सुभाष जी, भागीरथ तिवारी, रामरंजन कुमार सिंह, सहित दर्जनों महानुभाव उपस्थित थे ।
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