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नौनिहाल चुन रहे हैं कचरा में अपना भविष्य, उठा रहे हैं कचरे का बोझ

गुंजन आनंद                                                                                                                                                ब्यूरो/ पाकुड़ 


शिक्षा व्यवस्था का हाल बहुत ही बुरा है। चाहे आप लाखों वादे कर ले? ताल ठोक ले या ढोल बजा ले ! हां पहले की अपेक्षा जागरूकता जरूर आई है किंतु वह भी साधारण वर्ग में नहीं ? साधारण वर्ग में कल भी वही स्थिति था  आज भी वही है !! कल भी कचरा चुन रहे थे ! आज भी कचरा चुन रहे  हैं ।  बच्चे मिठाई की दुकान में,होटल आदि में  भी आपको देखने मिल जाएंगे। कोयला लदे साइकिल में ठेलते  भी नजर आ जाएंगे।अगर यह दो बच्चे की बात होती तो अलग होती इनकी संख्या भी अच्छी खासी है।इसकी कोई हिसाब किताब नहीं है और ना ही कोई पूछने वाला है ? आज जब इस संवाददाता ने जब दो छोटे-छोटे बच्चों को मुख्य डाकघर पोस्ट ऑफिस रोड पर कचरा चुनते देखा तो उसको उसका फोटो लेने चाहा ; बात करने चाहा । जैसे ही मैंने फोटो क्लिक की, बात करना चाहा दोनों बच्चे भाग खड़े हुए।  बच्चों ने चिल्ला चिल्ला कर कहा फोटो ले रहा है भागो !? बच्चे पुस्तक की बोझ उठा सके ना  उठा सके किंतु कचरा का बोझ उठाने में सक्षम है ? मेरा तात्पर्य है कि सरकार की नीति में अभी भी खामी है।   यदि खामी ना होता तो बच्चे स्कूल बैग लेते ।  जबकि सरकारी स्कूल में काफी सुविधाएं दी जा रही है ।भोजन से लेकर राशि पुस्तकें स्कूल ड्रेस जूता मोजा बावजूद बच्चे का कचरा उठाना समझ से परे है । सरकार को चाहिए इस पर अभिलंब बैठक करें। नीति निर्धारण करें। तभी इन बच्चों को रोका जा सकता है ।



इतना ही नहीं इनके अभिभावकों पर दंड का प्रावधान करना चाहिए!  पहले आप कह सकते थे हम खाएंगे क्या ,बच्चे को खिलाएंगे क्या ,हमारे पास किताब खरीदने के लिए पैसे नहीं है ,किंतु आज यह स्थिति नहीं है ।सरकारी विद्यालय में   अध्ययन अध्यापन के लिए सारी सुविधाएं  निशुल्क प्रदान की जाती है । सभी वर्ग के सभी छात्रों को भोजन पुस्तक गणवेश जूता मोजा साइकिल सारे सुविधा मुहैया कराए जाते हैं।कहीं भी कोई कमी नहीं है । साधारण वर्ग परिवार के  बच्चों का स्कूल ना आना और अभिभावक द्वारा रुचि नहीं लेना समझ से परे है ।सरकार को इस विषय में चिंतन मनन करने के साथ-साथ इस पर दंड प्रक्रिया की प्रधान करना चाहिए ऐसा समाज के कुछ लोगों का मानना है। अन्यथा हमारे नौनिहाल कचरा में ही अपनी जिंदगी बिता देंगे और फिर आगे चलकर यह कौन सा रहा अपनाएंगे यह कहना और समझना मुश्किल नहीं है! यक्ष प्रश्न पर विचारणीय है।

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