आमतौर पर अधिकारी सरकारी अस्पतालों की सेवाएं लेने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि समुचित सुविधाएं हासिल नहीं हो सकेंगी लेकिन गोड्डा के उपायुक्त जीशान कमर ने अपनी पत्नी लुबना कमर की सदर अस्पताल में ही डिलीवरी करायी। उन्होंने स्वस्थ बेटी को जन्म दिया। इस कार्य से समाज में सरकारी अस्पतालों के प्रति अच्छा संदेश गया है। काफी अरसे से मांग की जाती रही है कि अधिकारियों और उनके परिजनों के लिए सरकारी संस्थानों में इलाज और शिक्षा को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
गोड्डा के उपायुक्त जीशान कमर की पत्नी को गुरुवार को प्रसव पीड़ा के बाद सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टरों की टीम ने लुबना कमर की सफल डिलीवरी कराई उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ है। सरकारी अस्पतालों में आये दिन कुछ न कुछ गड़बड़ी की खबरें आती रहती है। इसके कारण सक्षम लोग इलाज के लिए निजी अस्पतालों का रूख कर लेते हैं। गुरुवार को दिन के करीब 11.30 बजे लुबना को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उपायुक्त ने पत्नी को सदर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों की टीम ने दोपहर 2 बजे लुबना कमर की सफल डिलीवरी कराई इसके बाद से जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। गोड्डा के पुलिस कप्तान नाथू सिंह मीणा ने भी परिवार सहित अस्पताल पहुंचकर जच्चा-बच्चा का हाल जाना। हालांकि सदर अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं होने के कारण दूसरे अस्पताल से स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम बुलाई गई थी। खिरिस्त राजा मिशन अस्पताल गोड्डा की डॉ. जियो, सरैयाहाट अस्पताल की डॉ प्रभा रानी प्रसाद व यहीं के डॉ ताराशंकर झा शामिल हैं।
उपायुक्त जीशान कमर ने बताया कि घर में बिटिया के आने से बेहद ख़ुशी हैं।उन्होंने पहले ही मन बना लिया था कि पत्नी की डिलीवरी सदर अस्पताल में ही करानी है। यहां की सुविधाएं बेहद दुरुस्त है।हर माह करीब 700 महिलाओं की डिलीवरी हो रही है. महिला डॉक्टर नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में पहले ही सरकार को पत्र लिखा गया है. उम्मीद है जल्दी डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी।आने वाले समय में सरकारी अस्पतालों में सुविधा और अच्छी होगी।गौरतलव है 3 वर्ष पहले गोड्डा की तत्कालीन उपायुक्त किरण कुमारी पासी ने भी सदर अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया था।
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