झारखंड/ पाकुड़
हिरणपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री उमेश कुमार स्वांसी ने खरीफ फसल अन्तर्गत मोटे अनाज पर आयोजित कार्यशाला में मड़ूआ की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी किसानों को दिया।
किसानों को जानकारी देते प्रखंड विकास पदाधिकारी
बीडीओ ने कहा कि मड़ूआ फसल की पैदावार 115-120 दिनों में टांड़ जमीन पर की जाती है। सबसे पहले जमीन को जोतकर मिट्टी को नरम बनाना फिर उसमें गोबर खाद के साथ बीज को बुआई करने को कहा गया। मिट्टी में नमी बनी रहे इसके लिए मनरेगा से वहां स्टैंगर्ड ट्रेंच, 30x40 माॅडल जैसी योजना को भी करने हेतु जीवी दा हासा के कर्मियों को सहयोग करने हेतु कहा गया। वर्तमान समय में मोटे अनाज की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बीडीओ ने कहा कि मड़ूआ (संस्कृत नाम मधुलिका) के उपयोग का आयुर्वेदिक महत्त्व भी है। कमजोरी दूर करना, हिमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने तथा बहुत सारे पोषक तत्व इसमें पाये जाते हैं। शुगर एवं एनीमिया जैसे बीमारी के लिए यह वरदान साबित हो सकता है। प्रखंड क्षेत्र के 16 किसानों के बीच मड़ूआ का बीज वितरण किया गया।
किसानों को मडूआ का बीज वितरण किया गया
मौके पर प्रखंड कृषि पदाधिकारी सूर्या मालतो, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी ट्विंकल चौधरी, बीटीएम मो० जुनैद कृषक मित्र, जीवी दा हासा के सदस्य एवं किसान मौजूद थे।
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