हेमंत सरकार के चार वर्ष जनता को जितनी उम्मीदें थी उसमें कमी रही - माकपा।
गिरिडीह --- हेमंत सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल पर माकपा राज्य सचिव मंडल की समझ है कि राज्य सरकार जनता की उम्मीदों पर पुरी तरह खरी नहीं उतरी है । हेमंत सरकार ने आज से चार साल पहले शपथ लेते ही खुंटी में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा हजारों आदिवासियों पर दायर किए गए मुकदमों को वापस लिए जाने का आदेश देकर एक प्रशंसनीय काम किया था । सरकार के इस फैसले का सभी लोकतांत्रिक शक्तियों ने स्वागत किया था । हालांकि कोरोना महामारी के चलते सरकार को अपना ध्यान उस समय इस महामारी से निपटने में लगाने के चलते कई जरूरी कामों को टालना एक मजबुरी भी थी। झारखंड में उन्माद पैदा कर उत्पात मचाने वाली सांप्रदायिक ताकतों से निपटने में भी हेमंत सरकार का प्रशासनिक रिकॉर्ड अच्छा रहा है । हेमंत सरकार के जन पक्षीय सभी कामों का माकपा ने केवल समर्थन ही नहीं किया बल्कि उसके पक्ष में मजबूती से खड़ी रही ।लेकिन माकपा द्वारा उठाए गए जनता के कई महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति जिनमें आदिवासियों और दलितों की कई ज्वलंत समस्याएं भी हैं के प्रति हेमंत सरकार का रवैया उपेक्षा पूर्ण रहा है । इसलिए आम जनता के कई ज्वलंत मुद्दों का समाधान अभी तक नहीं हो सका । माकपा राज्य में झामुमो - कॉंग्रेस और राजद गठबंधन में शामिल नहीं है । लेकिन इस सरकार के कार्यकलापों का गुण - दोष के आधार पर मुल्यांकन करते हुए अपना स्टैंड लेती रही है । इसी कडी मे माकपा का राज्य सचिव मंडल हेमंत सरकार को चार वर्ष पुरे करने पर बधाई देते हुए यह अपेक्षा रखता है की राज्य की वाम शक्तियों द्वारा उठाए जा रहे जन मुद्दों पर वह सकारात्मक पहल लेगी और उन मुद्दों को हल करने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी । ताकि राज्य में वाम - धर्मनिरपेक्ष जनतांत्रिक शक्तियों की एकता भी और मजबूत हो सके । साथ ही नफरत और धार्मिक उन्माद फैलाकर राज्य की जनता को विभाजित करने वाली ताकतों से भी निपटा जा सके ।
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