12 वर्षो से फरार करोड़ों रुपये के गबन आरोपी सुनील मंडल गिरफ्तार।
कहा जाता हैं प्रशासन के हाथ लंबे होते हैं ओर आज साबित कर दिखाया। जहाँ गोड्डा से फरार तो जामताड़ा में नोकरी ये है दिलचस्प वाली बात
गोड्डा जिला अंतर्गत सुंदरपहाड़ी थाना को मिली बड़ी सफलता जो काम वर्षो से नही कर पाई थी पुलिस वो सुंदरपहाड़ी थाना प्रभारी परवीन मोदी और पोड़ैयाहाट थाना प्रभारी संतोष यादव के नेतृत्व में गुप्त सूचना के आधार पर 1.53 करोड़ रुपये गबन के आरोपी सुनील मंडल 12 वर्षो से फरार चल रहा था। जिसके आज पोड़ैयाहाट से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
बड़े अधिकारियों के संरक्षण में मिली थी लूट की छूट*
भर्ष्टाचार के राज्य में कुछ भी सम्भव हो सकता है क्योंकि
सुंदरपहाड़ी प्रखंड स्वास्थ्य विभाग में वितीय तीन वर्षों में 1.53 करोड़ रुपये गबन होने की बात सामने आई।
क्योंकि इस पूरी राशि का गबन एक बार में नहीं बल्कि तीन वित्तीय वर्षों के दौरान किया गया है। यानी लूट की पूरी छूट दी गई और विभाग के बड़े अधिकारियों द्वारा लगातार नजरअंदाज किया जाता रहा था । विभाग स्तर पर भी इस मामले का खुलासा नहीं हुआ, बल्कि महालेखाकार रांची ने इसे आडिट में पकड़ा।
कैश बुक में हेराफेरी : मामले पर वित्तीय वर्ष 2002 से 2010 तक विभाग के लेनदेन की जांच की गई है। इसमें साफ तौर पर कैश बुक में हेराफेरी करने का मामला सामने आया है। मामला दर्ज होने के बाद भी जामताड़ा के नारायणपुर में कार्यरत स्वास्थ्य लिपिक सुनील कुमार मंडल ने किया है। सुनील मंडल उस वक्त गोड्डा के सुंदरपहाड़ी में तैनात थे। सुनील कुमार मंडल ने 18 जुलाई 2009 को अपना पदभार कृष्ण गोपाल दत्ता को दिया था। जब जांच की गई तो कैश बुक में 8 अगस्त 2007 को तीन रुपये, 20 अगस्त 2008 को 100 रुपये और 19 सितंबर 2008 को 8000 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई है। इसी प्रकार से 9 अप्रैल 2009 को विभागीय खर्च में 18000 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई। इसी प्रकार से तिथि दर तिथि विभागीय राशि का गबन किया गया है। जो कुल रकम 1.53 करोड़ रुपये है।
बेवजह निकाले गए 96 हजार रुपये : जांच में यह बात भी साबित हुई है कि वित्तीय वर्ष 2005-06 से लेकर 7-08 तक 96,891 रुपये की निकासी बिना आवश्यकता के की गई। इस राशि का न तो उपयोग हुआ और नहीं इसका कोई रिकार्ड ही विभाग के पास है।
47 हजार की गलत खरीदारी : दवाओं की खरिदारी के नाम पर भी राशि की निकासी अवैध ढंग से की गयी। कायदे कानून को ताख पर रख कर झारखंड के बाहर से दवाओं को खरीदा गया। इस प्रकार से कई अन्य प्रकार से या तो बेवजह खरीदारी की गई या फिर पैस की निकासी करने के बाद उसकी उपयोगिता अथवा कैश बुक संधारन नहीं किया गया।
लंबे समय तक दर्ज नहीं कराई गई प्राथमिकी : 23 जून 20011 को इस मामले को लेकर तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुंदरपहाड़ी ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा की मामले को लेकर उपायुक्त ने आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था। लेकिन तत्कालीन सिविल सर्जन ने इस मामले पर तीन सदस्यीय जांच दल का गठन कर दिया। इस जांच दल में डॉ. शिवनारायण तांती, डॉ. अनंत कुमार झा और कामेश्वर ततवा में शामिल किया गया। इस जांच दल ने जमकर सुंदरपहाड़ी को दौरा किया। लेकिन बाद में इस दल को ही गलत घोषित कर दिया गया। इसके बाद काफी लंबे समय तक सिविल सर्जन स्तर से एफआइआर दर्ज नहीं कराया गया।
गोड्डा : एक ओर मुख्यमंत्री रघुवर दास सूबे को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। वहीं
गोड्डा जिला के स्वास्थ्य विभाग में 1.53 करोड़ रुपये का गबन करने वाला इन दिनों जामताड़ा के नारायणपुर प्रखंड में आराम से नौकरी कर रहा था। जबकि उसके नाम से न्यायालय से गैर जमानती वारंट जारी है और पुलिस गिरफ्त में नहीं आने से उसकी कुर्की जब्ती भी हो चुकी है। मामला गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी प्रखंड का है। इस प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते तीन वित्तीय वर्ष के दौरान तत्कालीन चिकित्सा लिपिक सुनील कुमार मंडल पर दवाओं की खरीद में गड़बड़ी करने के साथ ही विभागीय राशि का गलत तरीके से निकासी करने का आरोप है। सुनील कुमार मंडल ने सुंदरपहाड़ी में रहते हुए वित्तीय वर्ष 2004-05, 2005-06 और 2006-07 के दौरान कोषागार से विभागीय राशि की निकासी की और उसे विभाग के खाते में नहीं दिखाया। नतीजतन इस दौरान कुल एक करोड़ 53 लाख 32 हजार 335 रुपये शामिल हैं। इस मामला के सामने आने के बाद विभागीय स्तर पर इसकी जांच कराई गई, लेकिन काफी लंबे समय तक कार्रवाई नहीं हुई। बाद में महालेखाकार स्तर से इस गड़बड़ी को उजागर किया गया। इसके बाद विभागीय पदाधिकारी रेस हुए और सुनील कुमार मंडल को निलंबित कर दिया गया। सुनील के वेतन पर रोक लगी।
निलंबन के बाद दोबारा मिली नौकरी : इसे स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी कहे अथवा कार्यशैली कि निलंबन के बाद भी सुनील कुमार को फिर से नौकरी करने का मौका मिल गया। उसका गोड्डा से स्थानांतरण कर दिया गया और वह इन दिनों जामताड़ा के नारायणपुर प्रखंड में स्वास्थ्य लिपिक के पद पर कार्यरत है।
गैर जमानती वारंट और हुई कुर्की : सुनील कुमार मंडल के खिलाफ विभाग की ओर से 5 जुलाई 2011 को सुंदरपहाड़ी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसके बाद कोर्ट की ओर से सुनील के खिलाफ वारंट जारी किया गया। इस दौरान सुनील ने पुलिस हिरासत से बाहर रहते हुए जमानत के लिए अपील की लेकिन कोर्ट ने उसके अपराध को देखते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद कोर्ट ने सुनील की संपत्ति की कुर्की जब्ती का आदेश जारी कर दिया गया। पुलिस ने कुर्की भी की, लेकिन अब तक सुनील फरार है। वर्तमान में सुनील जामताड़ा जिला में कार्य कर रहा है।
प्रशासन भी शक के दायरे में
सबसे दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ जहां जामताड़ा में नौकरी भी कर रहे हैं और दूसरी ओर गोड्डा से फरार है। आखिर इतने दिनों तक किसकी मेहरबानी से चल रहा था। जामताड़ा को ही सेव जॉन कैसे समझा जहां साईबर का भी अडडा है।
मार्च 2021 में करंट खबर मासिक पत्रिका में छपी थी खबर जिसके बाद करंट खबर के सवांददाता को मिली थी धमकी
खबर छपने के बाद मच गया हड़कंप जिसके बाद करंट खबर के संपादक से लेकर कई पत्रकारों को खरीदने का प्रयास किया गया था । जामताड़ा के पत्रकारों के साथ खरीद बिक्री का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी।
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