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अविभाजित भारत में शिक्षा की अलख जगाने एवं समाज को रूढ़ियों से बचाकर एक नई दिशा देने के उद्देश्य से महात्मा हंसराज जी ने लाहौर में 1886 ई. में पहला डी. ए. वी. स्कूल खोलकर 25 वर्षों तक अवैतनिक सेवा की।

मो० शबा की रिपोर्ट 

तेनुघाट --- अविभाजित भारत में शिक्षा की अलख जगाने एवं समाज को रूढ़ियों से बचाकर एक नई दिशा देने के उद्देश्य से महात्मा हंसराज जी ने लाहौर में 1886 ई. में पहला डी. ए. वी. स्कूल खोलकर 25 वर्षों तक अवैतनिक सेवा की। आज उसी महापुरुष की 161 वीं जयंती है। इस अवसर पर प्रातः प्रार्थना सभा में प्राचार्या स्तुति सिन्हा ने महात्मा हंसराज जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित की तदनंतर शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा पुष्प अर्पित किया गया। प्राचार्या ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बच्चों को बताया कि महात्मा हंसराज जी का जीवन असीम त्याग एवं बलिदान का प्रतीक है। डी ए वी परिवार एवं समाज इनके द्वारा किए उपकार का हमेशा ऋणी रहेगा ,हम सबको इनके मार्ग पर चलना चाहिए। इस अवसर पर सृष्टि कुमारी एवं अनन्या कश्यप ने हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में महात्मा हंसराज जी के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। वहीं पाठ्य सहगामी गतिविधियों (C C A ) के अन्तर्गत छोटे -छोटे बच्चों ने महात्मा हंसराज जी का वेश धारण कर अपने विचार व्यक्त किए तथा कोलाज़ प्रतियोगिता (कलाकृति) में बच्चों ने महात्मा हंसराज जी के सुन्दर रुप की आकर्षक कलाकृतियाँ बनाईं।

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