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देश के प्रथम शिक्षा मंत्री एवं भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर झारखंड प्रदेश पासवा ने उन्हें याद किया एवं भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

देश के प्रथम शिक्षा मंत्री एवं भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर झारखंड प्रदेश पासवा ने उन्हें याद किया एवं भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
 झारखंड सरकार के वित्त मंत्री व पासवा के मुख्य संरक्षक डॉ रामेश्वर उरांव,प्रदेश पासवा के चेयरमैन आलोक कुमार दूबे, उपाध्यक्ष लाल किशोर नाथ शाहदेव, महासचिव डॉ राजेश गुप्ता छोटू,सुश्री फलक फातिमा,संजय प्रसाद,रांची महानगर पासवा अध्यक्ष डॉ सुषमा केरकेट्टा सहित अन्य पदाधिकारियों ने मौलाना आजाद की जयंती पर उन्हें नमन किया एवं दीप प्रज्ज्वलित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा मौलाना आजाद मात्र एक राजनीतिज्ञ नहीं थे बल्कि एक अच्छे साहित्यकार,उत्कृष्ट पत्रकार,एक कुशल लेखक एवं उर्दू के मशहूर विद्वान थे। भारत के पहले शिक्षा मंत्री होने के कारण मौलाना आजाद के जन्म दिवस को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।आधुनिक भारत के इतिहास में महान विभूतियों में शामिल मौलाना आजाद ने जीवन पर्यन्त देश की सेवा की। डॉक्टर उरांव ने कहा मौलाना अबुल स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री ही नहीं थे बल्कि भारत में शिक्षा की बुनियाद रखने वाली उच्च कोटि की संस्थाओं के शिल्पकार भी थे।

पासवा चेयरमैन आलोक कुमार दूबे ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षा विद् की जयंती को देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति के रूप में मनाती है। मौलाना आजाद के प्रयासों से ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग समेत दिल्ली में वास्तु कला विद्यालय स्कूल ऑफ प्लानिंग की स्थापना हुई।जिन महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों की उन्होंने नींव रखी वह आज भारत के शैक्षणिक और तकनीकी विकास के परिचायक हैं।साहित्य अकादमी, भारतीय संगीत एवं नृत्य के विकास के लिए संगीत नाटक अकादमी,चित्रकला, ललित कला अकादमी का गठन किया गया।
पासवा प्रदेश उपाध्यक्ष लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कहा देश में आईआईटी, आईआईएससी,यूजीसी समेत कई संस्थान मौलाना आजाद के कार्यकाल में स्थापित किए गए। देश में प्रसिद्ध जामिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापना में उनका अहम योगदान रहा,शिक्षा जगत उनके कृतियों को कभी भूल नहीं सकता।
पासवा महासचिव डॉ राजेश गुप्ता छोटू ने कहा मौलाना आजाद के नेतृत्व में 1940 का रामगढ़ अधिवेशन काफी निर्णायक रहा क्योंकि इसी अधिवेशन में रामगढ़ रिजोल्यूशन पारित किया गया एवं अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया गया जो 1947 का एक मजबूत आधार बना।
पासवा महासचिव सुश्री फलक फातिमा ने कहा आज राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के दिन शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना द्वारा किए गए बेहतरीन कार्यों को याद किया जाता है। मौलाना आजाद विभाजन के कट्टर विरोधी थे तथा हिंदू मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे।शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद उदारवादी सर्वहितवाद, सार्वभौमिकता के प्रतिपादक थे जो वास्तव में उदार मानवीय शिक्षा प्रणाली थी। उन्होंने कहा मौलाना आजाद के कृतित्व और व्यक्तित्व को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।

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