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सामाजिक न्याय के पुरोधा थे कर्पूरी ठाकुर: उप विकास आयुक्त

सामाजिक न्याय के पुरोधा थे कर्पूरी ठाकुर: उप विकास आयुक्त

.जन्मशताब्दी समारोह में सम्मानित किए गए पत्रकार कुमार कृष्णन और प्रो विद्या चौधरी,,,,

सज्जन कुमार गर्ग 
मुंगेर।कला संस्कृति एवं युवा विभाग,बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन मुंगेर के संयुक्त तत्वावधान में पूरबसराय स्थित कर्पूरी छात्रावास में आज भारत रत्न जन नायक कर्पूरी ठाकुर जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया।समारोह  का  उद्घाटन उप विकास आयुक्त अजीत कुमार सिंह द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। 
समारोह को संबोधित करते हुए उप विकास आयुक्त ने कहा कि कपूर्री ठाकुर भारतीय राजनीति में कर्पूरी ठाकुर का नाम ऐसे राजनेताओं में शुमार रहा, जो उसूलों पर चलने वाले ईमानदार नेता थे।बिहार की सियासत में एक बार उप मुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहने के बाद भी उन्होंने राजनीतिक जीवन के लिए कुछ मानक बनाए। कर्पूरी ठाकुर सामाजिक न्याय के पुरोधा थे।वंचित वर्ग के उत्थान के लिए उन्होंने कई कदम उठाए।
इस अवसर पर वक्ता वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन ने कहा कि अपने गुरु डॉ. राम मनोहर लोहिया के आदर्शों पर चलकर उन्होंने पिछड़ों और कमजोर वर्ग को आगे लाने के लिए अथक प्रयास किए।मुख्यमंत्री रहते पिछड़ों और अति पिछड़ों को मुंगेरी लाल आयोग के तहत आरक्षण दिलाने का काम उनके हाथों ही हुआ। वास्तव में भारत रत्न के लिए उनके नाम का ऐलान भारतीय सियासत में नेताओं की उस परंपरा का सम्मान है जिन्होंने समाज के वंचित पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने का अथक प्रयास किया।निश्चित तौर पर मधु लिमये, राम सेवक यादव जैसे नेताओं की श्रेणी में कर्पूरी ठाकुर का नाम भी पूरा सम्मान पाता है। एक तरफ जयप्रकाश नारायण, डाॅ. राम मनोहर लोहिया की विरासत को उन्होंने आगे बढ़ाया तो दूसरी ओर अपने दौर के नए युवा समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडीज, नीतीश कुमार, लालू यादव, राम विलास पासवान का मार्गदर्शन भी किया। वर्ष 1974 में जेपी आंदोलन से जुड़े नेताओं के लिए वह अग्रज की भूमिका में भी रहे। उन्होंनें कहा कि 1974 के जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति के बाद सत्ता में बदलाव हो चुका था। यह 1977 से 1981 का दौर था। युवा पीढ़ी में बदलाव के नये सपने थे। नयी आकांक्षाएं उभार पा रही थी। उन्हीं दिनों बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कर्पूरी जी ने बिहार में आरक्षण के लिए कदम उठाया। समाज के वंचित और पिछड़े समुदाय को सत्ता में हिस्सेदारी, प्रतिनिधित्व देने की दृष्टि भरी पहल, तब, यह साहस का काम था। क्रांतिकारी कदम था उन दिनों को याद कीजिए। जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखरजी (देश के पूर्व प्रधानमंत्री) ने कहा कि जनता पार्टी वैकल्पिक राजनीति और सामाजिक परिवर्तन के लिए ही सत्ता में आयी है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी खुलकर कर्पूरी जी के पक्ष में इस मुद्दे पर खड़े थे। आरक्षण के इस फैसले के तुरंत बाद उन्होंने बयान दिया था कि मेरे कहने से कर्पूरी जी ने यह फैसला लिया है, बिहार पहुंचकर चंद्रशेखर जी ने कर्पूरी जी के इस फैसले का समर्थन किया। कर्पूरी जी की एक कविता का स्मरण होता है. आजादी की लड़ाई के दिनों में उन्होंने एक कविता लिखी थी: ‘‘हम सोए वतन को जगाने चले हैं, हम मुर्दा दिलों को जिलाने चले हैं।’’ यह कविता खूब लोकप्रिय हुई। समाजवादियों का प्रभात फेरी गीत बन गया था। उस समय यह सापेक्ष कविता थी, पर इसकी प्रासंगिकता तब तक बनी रहेगी, जब तक समाज अपनी भूमिका निभाने से कतराता रहेगा। 
प्रो. विद्या चौधरी ने कहा किनि:संदेह, जन्मशती वर्ष में भारत रत्न दिए जाने के ऐलान के साथ ही उनकेनाम-काम पर आज की युवा पीढ़ी का भी ध्यान जाएगा। उसे अहसास होगा कि वास्तव में यह खांटी नेता किन मूल्यों के साथ जिया।समारोह में उप विकास आयुक्त ने वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन और प्रो  विद्या चौधरी को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विभाग के कौशल किशोर पाठक ने किया। उप्न्होंने कहा कि दृढ़ स्ंकल्प और मेहनत से लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। समारोह में वरीय उप समाहर्ता ललीत राही, जिला कल्याण पदाधिकारी नृपेंद्र कुमार निराला, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी बरियारपुर सह छात्रावास अधीक्षक ज्ञानु प्रताप सिंह, एमए के छात्र मंजेश कुमार, बीए पार्ट थर्ड के छात्र अनुज कुमार, पार्ट वन के छात्र बादल कुमार, अभिषेक कुमार, आरजू जोशी, रवि शंकर कुमार, ललित कुमार, कुमार बादल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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